धरती को वर्जित है सूरज को छूना खुद से ख़ुद को मिलाओ शब्दों के धागे से बुने ख्वाबों को वास्तविकता से जोड़ती.. ज़रा से प्यार को भी बहुत समझो और सामने वाले से मिली उपेक्षा को भी मत सहो मोहब्बत एहसास इनकार संसार पृथ्वी

Hindi सूरज को निकलने से इनकार Poems